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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2709
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र क्या है? संचित अभिलेख पत्र की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? इस पत्र की उपयोगिता की व्याख्या कीजिए।

उत्तर -

वर्तमान समय में संचित अभिलेख पत्र शिक्षा पद्धति का एक अभिन्न अंग है। संचित अभिलेख पत्र निर्देशन- कार्यक्रम में व्यक्ति या छात्र के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के लिए विशेष महत्त्व रखता है। इसके अन्तर्गत छात्रों से सम्बन्धित संपूर्ण ज्ञान की जानकारी होती है और इसके माध्यम से निर्देशक या परामर्शदाता छात्रों की रुचियों, योग्यताओं, आवश्यकताओं, रुचि, अभिरुचियों तथा उनके व्यक्तित्व आदि का ज्ञान प्राप्त करते हैं जिसके फलस्वरूप वे छात्र को अपनी वृद्धि एवं विकास करने में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

संचित अभिलेख पत्र का अर्थ

संचित अभिलेख पत्र एक ऐसा पत्र है जिसमें छात्र का स्थायी एवं व्यक्तिगत इतिहास होता है। यह वह प्रलेख है, जो छात्र के व्यक्तित्व का पूर्ण, विस्तृत तथा पनपता चित्र दर्शाता है। संचित अभिलेख पत्र विद्यालय में किसी अध्यापक अथवा किसी अन्य कर्मचारी के द्वारा रखा जाता है। यह एक ऐसा पत्र होता है जिसमें छात्र के विद्यालय में प्रवेश से विद्यालय छोड़ने तक का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, शैक्षिक तथा चारित्रिक विषय का क्रमबद्ध अभिलेख नियमित समयान्तर से शिक्षक-निर्देशक अथवा अन्य किसी प्रशिक्षित तथा योग्यता प्राप्त व्यक्ति के द्वारा विभिन्न परीक्षणों के प्रमाणों या निरीक्षणों के आधार पर रखा जाता है।

विभिन्न विद्वानों ने संचित अभिलेख पत्रों को भिन्न-भिन्न प्रकार से परिभाषित किया है-

(1) मुरेथॉमस के अनुसार, - "संचित अभिलेख पत्र में किसी ज्ञान के बारे में लम्बी अवधि में एकत्रित की गई सूचना होती है।"
(2) जोन्स के अनुसार, - "संचित अभिलेख पत्र एक छात्र का स्थायी रिकार्ड है, जो विद्यालय के द्वारा वर्तमान समय तक ठीक-ठीक रखा जाता है। यह उसकी विद्यालीय उपलब्धि, उपस्थिति,       परीक्षण अंक और इसी प्रकार की अन्य सम्बन्धित सूचनाओं के साथ उसका शैक्षिक इतिहास होता है।"
(3) ऐलन के शब्दों में, - "संचित अभिलेख पत्र सूचनाओं का वह अभिलेख है जिसका सम्बन्ध छात्र के मूल्यांकन से होता है और जिसे एक कार्ड पर लिखकर एक ही स्थान पर रखा जाता है।"
(4) जेन वाटर्स के अनुसार, - "परीक्षा प्रश्नावली, अवलोकन, साक्षात्कार आदि विधियों के द्वारा प्राप्त सूचनाएँ सारांश रूप में संचयी अभिलेख पत्र में इकट्ठी की जाती हैं।"
(5) बोनी और हैम्पिलमैन के अनुसार, - "संचित अभिलेख पत्र एक विद्यार्थी के बारे में सभी प्रकार के आँकड़ों का बना होता है, जिसे एकत्रित करना और लिखना विद्यालय पर्याप्त महत्वपूर्ण         समझता है और जिसे प्रतिवर्ष सुरक्षित तथा संगठित ढंग से रखा जाता है।"
(6) माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार, - "छात्रों के कार्यों का उचित मूल्यांकन विद्यालय की परीक्षाओं द्वारा सम्भव नहीं है। छात्रों को भविष्य में नवीन व्यवसाय का चुनाव करने में सहायता    देने के लिए उसके विकास का पूर्ण आलेख रखना चाहिए। इन आलेख पत्रों में छात्रों के व्यक्तित्व सम्बन्धी गुण, रुचि, अभिवृत्ति तथा किए गए कार्यों का वर्णन होता है।"

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि संचित अभिलेख पत्र एक ऐसा पत्र है जो छात्र के सम्बन्ध में संपूर्ण जानकारी अपने में समाहित करता है। यह जानकारी विभिन्न प्रकार के परीक्षणों, साक्षात्कारों, निरीक्षणों, कक्षाध्यापक या विषय अध्यापक की रिपोर्टों, डॉक्टर की रिपोर्टों तथा पाठ्यन्तरं प्रतियोगिताओं के द्वारा प्राप्त होती है।

संचित अभिलेख की विशेषताएँ

एक अच्छे संचित अभिलेख पत्र में निम्नलिखित विशेषताओं का होना आवश्यक है-


(i) सूचनाओं की वैधता सूचनाओं की वैधता का अभिप्राय सूचनाओं के सत्य होने से है। संचित अभिलेख पत्र में एकत्रित सूचनाओं का आधार अवैज्ञानिक नहीं होना चाहिए।
(ii) विश्वसनीयता संचित अभिलेख पत्र की सभी सूचनाएँ विश्वसनीय होनी चाहिए।
(iii) वस्तुनिष्ठता - वस्तुनिष्ठता से तात्पर्य है कि अभिलेख पत्र में लिखी हुई सूचनाएँ व्यक्तिगत विचारधाराओं से प्रभावित नहीं होनी चाहिए तथा उनकी भाषा अनेकार्थक नहीं होना चाहिए।
(iv) व्यापकता व्यापकता का अर्थ है कि संचित अभिलेख पत्र में बालक से सम्बन्धित सभी प्रकार की सूचनाओं का समावेश होना चाहिए।
(v) निश्चित स्थान - संचित अभिलेख पत्र हर समय उपलब्ध होना चाहिए और उसे किसी केन्द्रीय स्थान पर ही रखा जाना चाहिए।
(vi) तथ्यों की सरलता संचित अभिलेख पत्र सरल होना चाहिए, जिससे कि उसके तथ्य आसानी से समझ में आ जाएँ। इनमें जटिलता नहीं होनी चाहिए।
(vii) छात्रों की सफलताओं और असफलताओं का मूल्यांकन- इस अभिलेख पत्र में संकलित तथ्यों के आधार पर छात्र की सफलताओं और असफलताओं का मूल्यांकन किया जाता है। अतः निश्चित अवधि के बाद अध्यापक द्वारा उसका अध्ययन किया जाना चाहिए।
(viii) नवीनता - छात्र के सम्बन्ध में कोई नवीन सूचना मिलते ही तुरन्त उसे अभिलेख पत्र में लिखना चाहिए।
(ix) लचीलापन - एक उत्तम अभिलेख पत्र को लचीला होना चाहिए, ताकि उसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सके।
(x) समय-समय पर मूल्यांकन- संचित अभिलेख पत्र का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए, ताकि उनमें आवश्यक परिवर्तन किया जा सके तथा साथ- साथ नई सूचनाएँ शामिल की जा सकें।
(xi) शब्दों और संकेतों का अर्थ प्रयोग - संचित अभिलेख पत्र में प्रयोग किए जाने वाले शब्दों और संकेतों का अर्थ अन्य व्यक्तियों की समझ में आ जाए, ताकि वे अभिलेख पत्र में शामिल की गई सूचनाओं का अधिक-से-अधिक प्रयोग कर सकें।
(xii) निरन्तर लेखन- एक उत्तम अभिलेख पत्र में छात्र के विद्यालय जीवन और बाह्य जीवन से सम्बन्धित सभी बातें नियमित रूप से लिखी जानी चाहिए।
(xiii) पूर्ण सूचनाएँ - संचित अभिलेख पत्र में छात्र के जीवन से सम्बन्धित तथा विकास से सम्बन्धित पूर्ण सूचनाएँ लिखी जानी चाहिए।
(xiv) सरलता- एक उत्तम संचित अभिलेख पत्र में पर्याप्त सरलता होनी चाहिए, ताकि आवश्यकता पड़ने पर प्रत्येक व्यक्ति इसका अध्ययन कर सके और इच्छित सूचना प्राप्त कर सके।

संचित अभिलेख पत्र का महत्त्व या उपयोगिता

संचित अभिलेख पत्र की उपयोगिता या महत्त्व - निम्नलिखित प्रकार से है-

(i) संचित अभिलेख पत्र के अन्तर्गत छात्र के प्रत्येक पहलू से सम्बन्धित अभिलेख उपलब्ध होता है जिसके कारण उसके बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है।
(ii) यह अभिलेख छात्रों को अपनी सफलताओं एवं असफलताओं का मूल्यांकन करने में सहायता देता है।
(iii) इस अभिलेख के द्वारा अध्यापक छात्र की योग्यताओं, कुशलताओं, बौद्धिक क्षमताओं, रुचियों तथा रुझानों के बारे में उचित जानकारी प्राप्त कर लेता है।
(iv) यह अभिलेख छात्रों के व्यावसायिक तथा शैक्षिक निर्देशन में अध्यापक की सहायता करता है।
(v) न्यायालय के अधिकारियों को इस अभिलेख की सहायता से बाल अपराधियों के वातावरण से परिचित कराया जा सकता है।
(vi) यह अभिलेख अपसमायोजन को दूर करने में शिक्षक-निर्देशक एवं परामर्शदाता की सहायता करता है।
(vii) यह अभिलेख छात्रों के लिए उपयुक्त और अधिक प्रभावपूर्ण शैक्षिक योजनाओं का निर्माण करने में सहायता प्रदान करते हैं।
(viii) विद्यालय में प्रवेश करने वाले नए शिक्षकों को इन संचित अभिलेख पत्रों की सहायता से छात्रों के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है।
(ix) संचित अभिलेख पत्र की सहायता से छात्र से सम्बन्धित तथ्य एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में स्थानान्तरित किए जा सकते हैं।
(x) इस अभिलेख पत्र के द्वारा छात्र के गुणों एवं अवगुणों से बालकों को सूचित किया जा सकता है, जिससे कि अभिभावकों एवं शिक्षकों में संपर्क स्थापित हो सके।
(xi) क्रो एवं क्रो के अनुसार यह अभिलेख पत्र छात्र सम्बन्धी समस्त सूचनाओं को स्थायी रूप में सुरक्षित रखता है और अध्यापक को छात्रों को व्यक्तियों के रूप में जानने का साधन प्रदान करता    है।
(xii) यह अभिलेख पत्र छात्र के व्यक्तित्व के सभी पहलुओं का सूक्ष्म अध्ययन करने में सहायता देता है तथा छात्रों को उनकी मानसिक योग्यताओं के अनुसार शिक्षा देने के लिए उनको विभिन्न   वर्गों में विभाजित करने में सहायता देता है।
(xiii) यह अभिलेख रिकॉर्ड कार्यालयों के छात्रों से सम्बन्धित शैक्षिक और अन्य योग्यताओं से परिचित कराता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- निर्देशन का क्या अर्थ है? निर्देशन की प्रमुख विशेषताओं तथा क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- निर्देशन के महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- निर्देशन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- निर्देशन की आवश्यकता से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- "व्यावसायिक निर्देशन शैक्षिक निर्देशन पर प्रभुत्व रखता है।" स्पष्ट कीजिये एवं इस कथन का औचित्य बताइये।
  6. प्रश्न- निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- निर्देशन की आधुनिक प्रवृत्तियाँ क्या हैं?
  8. प्रश्न- निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- निर्देशन के विषय क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- निर्देशन तथा शिक्षा में कौन-कौन से मुख्य अन्तर हैं? स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- निर्देशन के कार्य क्या हैं?
  12. प्रश्न- निर्देशन की प्रकृति का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- भारत में निदर्शन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- "समृद्ध भारत के लिये निर्देशन सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता है।" विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इस कथन की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  16. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों तथा शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? व्यक्तिगत निर्देशन के स्वरूप एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर व्यक्तिगत निर्देशन के उद्देश्यों या कार्यों का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व और आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- छात्रों के व्यावसायिक निर्देशन में विद्यालय क्या भूमिका निभा सकता है?
  23. प्रश्न- "व्यक्तिगत निर्देशन, निर्देशन का मूलाधार है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  24. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन की शिक्षा के क्षेत्र में क्यों आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
  28. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? इसके मुख्य उद्देश्य बताइए।
  29. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के सिद्धान्त क्या है स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयोगिता का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- सूचना सेवा से आप क्या समझते हैं? सूचना सेवाओं के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- सूचना सेवा की कार्य विधि का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- नियोजन सेवा से आप क्या समझते हैं? विद्यालय के नियोजन सम्बन्धी कार्यों एवं उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- किसी विद्यालय के निर्देशन सेवा के संगठन की आधारभूत आवश्यकताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- निर्देशन सेवा में विद्यालय स्तर पर कार्यरत प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका का विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- अनुवर्ती सेवाओं से आप क्या समझते हैं? इसका क्या प्रयोजन है? अध्ययनरत छात्रों के लिए अनुवर्ती सेवाओं की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- छात्र सूचना या वैयक्तिक अनुसूची सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- सूचना सेवा की आवश्यक सामग्री का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- नियोजन सेवा के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परामर्श सेवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  43. प्रश्न- सूचना सेवा कितने प्रकार की होती है? विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन में आवश्यक सूचनाओं को बताइए।
  45. प्रश्न- व्यक्ति निर्देशन में आवश्यक सूचना को बताइये।
  46. प्रश्न- भारत में व्यवसाय से सम्बन्धित सूचनाओं के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
  47. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में परिवार की क्या भूमिका होती है?
  48. प्रश्न- अनुकूलन सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी आवश्यकता के क्या कारण हैं? स्पष्टतया समझाइये।
  49. प्रश्न- उपचारात्मक सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
  50. प्रश्न- अनुवर्ती अध्ययन की समस्याएँ एवं समाधान का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों का अनुवर्ती अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  52. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों के अनुवर्ती अध्ययन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- कृत्य विश्लेषण एवं कृत्य संतोष में क्या सम्बन्ध है?
  54. प्रश्न- विद्यालयों में निर्देशन सेवाओं से आप क्या समझते हैं? विद्यालय निर्देशन- सेवाओं के संगठन के प्रचलित सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  55. प्रश्न- माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवाओं के संगठन का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा के प्रमुखं कार्य कौन-कौन से हैं? प्राथमिक तथा सैकेण्ड्री स्कूल स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम संगठन के उद्देश्यों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- विद्यालयी निर्देशन सेवाओं के संगठन की मुख्य संकल्पनाएँ क्या हैं? इसकी आवश्यकता व क्षेत्र क्या है? वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- वर्णन कीजिए कि आप एक शिक्षक के रूप में माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम को किस प्रकार से संगठित करेंगे?
  59. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्यों की विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- विद्यालय की निर्देशन संगठन सेवा का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन सेवाओं के सफल संगठन के लिए किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन कार्यक्रमों के सफल संचालन हेतु किन-किन कर्मचारियों की आवश्यकता होती है? स्पष्ट कीजिए।
  63. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं के विभिन्न रूपों तथा सिद्धान्तों को संक्षिप्त रूप में बताइए।
  64. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के महत्व की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श के उद्देश्य तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श की आवश्यकता तथा महत्व का वर्णन कीजिए। अथवा छात्र परामर्श की आवश्यकता बताइये।
  68. प्रश्न- परामर्श की प्रक्रिया को समझाइए।
  69. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- परामर्श से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- परामर्श और निर्देशन में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता में कौन-कौन से गुणों का होना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- परामर्श से सम्बन्धित प्रमुख परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- परामर्श के उद्देश्यों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  75. प्रश्न- "एक परामर्शदाता के लिये समूह गतिशीलता का ज्ञान होना आवश्यक है।" स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- धर्म-परामर्श में सह-सम्बन्ध बताइये।
  77. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त-अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके गुणों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र क्या है? संचित अभिलेख पत्र की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? इस पत्र की उपयोगिता की व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि से आप क्या समझते हैं? साक्षात्कार प्रविधि के मुख्य तत्त्वों विशेषताओं एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल से आपका क्या अभिप्राय है? इनकी मुख्य विशेषताओं तथा प्रकारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  81. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के कितने प्रकार हैं? अनिर्देशित साक्षात्कार प्रविधि के लाभ एवं सीमाएँ बताइए।
  82. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र के निर्माण के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त अध्ययन प्रविधि की सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के गुणों का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि या निर्धारण मापनी को परिभाषित कीजिए।
  86. प्रश्न- साक्षात्कार विधि के मुख्य उपयोगों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट करें।
  88. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन प्रविधि के दोषों पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- प्रश्नावली प्रविधि के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि की कमियों या सीमाओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- संचयी आलेख का अर्थ बताइए।
  92. प्रश्न- परामर्श प्रदान करने की मुख्य प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श की प्रविधियों की मुख्य धारणाओं, सोपानों तथा लाभ एवं कमियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- परामर्श की प्रमुख प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशन और परामर्श में साक्षात्कार प्रविधि क्यों अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- समन्वित परामर्श से आप क्या समझते हैं? समन्वित परामर्श की मुख्य धारणाओं, लाभों तथा कमियों एवं सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श तथा निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  96. प्रश्न- निर्देशन के साधन क्या हैं?
  97. प्रश्न- निर्देशात्मक परामर्श की प्रमुख विशेषताओं और सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- अनिदेशात्मक परामर्श से क्या तात्पर्य है? अनिदेशात्मक परामर्श की मूल धारणाओं का उल्लेख कीजिए।
  99. प्रश्न- निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताएँ।
  102. प्रश्न- समन्वित परामर्श मुख्य चरणों या पदों को संक्षिप्त रूप में स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- निर्देशीय परामर्श के मुख्य चरण या सोपान कौन-कौन से हैं? स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- परामर्श के किसी एक उपागम का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- परामर्शदाता की विशेषताओं, गुणों तथा व्यावसायिक नीतिशास्त्र का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- परामर्शदाता की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  107. प्रश्न- परामर्शदाता में किस प्रकार का अनुभव होना आवश्यक है, बताइये।
  108. प्रश्न- परामर्शदाता का प्रशिक्षण कार्यक्रम बताइये।
  109. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- परामर्शदाता के व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- क्रो एवं क्रो के अनुसार परामर्शदाताओं के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- परामर्शार्थी और परामर्शदाता के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता बताइए तथा निर्देशन केन्द्रों के उद्देश्य भी बताइए।
  114. प्रश्न- भारत में निर्देशन एवं परामर्श की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  115. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य बताइए।
  116. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  117. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार, विशेषताएँ एवं सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- बुद्धि के मापन से आप क्या समझते हैं? बुद्धि परीक्षणों के प्रकार का वर्जन करते हुए बुद्धिलब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- शिक्षा और निर्देशन में बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  120. प्रश्न- रुचि क्या है? रुचि की महत्वपूर्ण विशेषताओं और प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- अभिवृत्ति का क्या अर्थ है? अभिवृत्ति परीक्षण का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- 'रुचि आविष्कारिकाएँ' क्या मापन करती हैं? कम से कम दो रुचि आविष्कारिकाओं का नाम बताइए।
  123. प्रश्न- बुद्धि कितने प्रकार की होती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  124. प्रश्न- बुद्धि की मुख्य विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  125. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ तथा स्वरूप पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- रुचि का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
  127. प्रश्न- रुचियों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं? संक्षेप में बताइये।
  128. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में रुचि सूचियों के लाभ का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- रुचि-सूचियों की कमियां या दोषों का उल्लेख कीजिए।
  130. प्रश्न- अभिवृत्ति के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  132. प्रश्न- भारतवर्ष में रुचि मापन के कार्यों पर प्रकाश डालिये।.
  133. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  134. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  135. प्रश्न- विशिष्ट बालकों से क्या अभिप्राय है? उनकी क्या विशेषताएँ हैं? पिछड़े बालकों की शिक्षा एवं समायोजन के लिये निर्देशन व परामर्श का एक कार्यक्रम तैयार कीजिए।
  136. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  137. प्रश्न- विशिष्ट बालकों को निर्देशन व परामर्श देते समय क्या सावधानियाँ रखी जानी चाहिये? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- चिकित्सा कर्मचारी किस प्रकार निर्देशन प्रक्रिया में योगदान देते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- निर्देशन प्रक्रिया में शारीरिक शिक्षक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  141. प्रश्न- प्रधानाचार्य के निर्देशन सम्बन्धी उत्तरदायित्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  142. प्रश्न- निर्देशन में शिक्षक की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोचिकित्सक की भूमिका बताइये।

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